जानलेवा साबित हो सकती है एक गलती
एक महिला को अपने शरीर पर अधिकार होना चाहिए। दुर्भाग्य से हमारे समाज में स्त्री की सेहत चिंता का विषय नहीं मानी जाती। खुद स्त्रियां भी प्रेग्नेंसी जैसे महत्वपूर्ण फैसले स्वयं नहीं लेती। यही वजह है की लगभग हर दूसरी स्त्री को जीवन में कभी न कभी अनचाही प्रेग्नेंसी का सामना करना पड़ता है। इसमें भी एक बड़ी गलती वे अपने मन गर्भपात दवा खाकर करती हैं ,जिसका खामियाजा उनकी सेहत को चुकाना पड़ता है। रिपोर्ट्स बताते हैं की हर दिन असुरक्षित गर्भपात के कारण भारत लगभग आठ महिलाओं की मौत हो है। यह नहीं , वजह से कई बार महिलाएं गंभीर से पड़ जातीं हैं।
अल्ट्रासॉउन्ड है ज़रूरी
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार ,भारत में लगभग 26 प्रतिशत गर्भपात घर में होते हैं। लगभग 4.8 करोड़ प्रेग्नेंसी (प्रतिवर्ष ) के मामलों में 48 प्रतिशत अनचाही प्रेग्नेंसी होती है और इनमें 33 प्रतिशत में गर्भपात कराया जाता है ,फोर्टिस ,वसंत कुंज ,बिना डॉक्टर की सलाह के गर्भपात की दवा से कई नुक्सान हो सकतें हैं। अगर प्रेग्नेंसी एडवांस ,है यानी 2 -3 महीने हो चुके हैं तो दवा से अत्यधिक रक्तस्त्राव हो सकता है। ऐसे इमरजेंसी में डीएंडसी (सफाई )करनी पड़ती है। सात हफ्ते प्रेग्नेंसी में दवा कारगर हो सकती है ,लेकिन इसके बाद डॉक्टर एमटीपी कराते ,हैं क्योंकि इसमें या तो अत्यधिक रक्तस्त्राव हो सकता है फिर अपूर्ण गर्भपात हो सकता है। एक समस्या यह भी है की अगर लड़की का ब्लड ग्रुप नेगेटिव है और उसके पार्टनर का पॉजिटिव है तो उसे एक एमटीपी इंजेक्शन लेना पड़ता है ,अन्यथा भविष्य में प्रेग्नेंसी में परेशानी आ सकती है। ये कुछ वजहें है ,जिस वजह से डॉक्टर की सलाह ज़रूरी होती है। 99 प्रतिशत मामलों में आसानी से प्रेग्नेंसी टर्मिनेट हो सकती है ,लेकिन यह डॉक्टर की देखरेख में होनी चाहिए।
डॉक्टरी सलाह बिना दवा नहीं
प्रेग्नेंसी टर्मिनेट कराने से पहले अल्ट्रासॉउन्ड कराना ज़रूरी है ताकि पता चल सके की प्रेग्नेंसी एक्टोपिक तो नहीं है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में गर्भाशय की जगह फेलोपिन ट्यूब में भ्रूण रहता है। कभी -कभी अपनी मर्जी से गर्भपात की दवा लेने से यह ट्यूब फट भी जाती है। जब उन्हें लम्बे समय से रक्तस्त्राव हो रहा होता है ,इससे उनके शरीर में खून की कमी हो जाती है। नियम यह की अबॉर्शन के लिए दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह के न ली जाए। कई महिलाएं एमर्जेन्सी पिल्स महीने में दो -दो बार ले लेती हैं। एमर्जेन्सी पिल्स का मतलब आपातकालीन दवा। ये हार्मोनल चक्र गड़बड़ा है। डॉक्टर खासतौर पर पहली प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट कराने की सलाह नहीं देते। इसकी वजह की अगर में गर्भधारण में समस्या हुई तो हमेशा जे लिए पच्छ्तावा जाता है।
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