आपकी बातों में है दम ?
- मुझे लगता है ,ऐसा ही होना चाहिए ,पर फिर भी सोच लीजिये क्या करना है।
- मेरी राय में इस प्रोजेक्ट पर ऐसे काम किया जाए तो बेहतर परिणाम मिलेंगे। पर अंतिम निर्णय आपको ही लेना है ,मैं इस क्षेत्र की एक्सपर्ट तो नहीं हूँ इसलिए पुरे विश्वाश से नहीं कह सकता।
अपनी बात या वाक्यों को बीच में ही अधूरा छोड़ देने या उसे पूरी दृढ़ता से न कहने की महिलाओं में आदत होती है ,चाहे कार्यक्षेत्र में हो या रोजमर्रा की ज़िन्दगी में आने वाली स्थितियों व् समाज से जुडी घटनाओं के सम्बन्ध में। पर क्या ,आपने कभी गौर किया है की आपका स्वभाव आपकी पूरी ज़िन्दगी पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से असर डाल रहा है ?अब सवाल यह है की आप महिलाएं अपनी बात को पूरी दृढताता से लोगों के सामने आखिर रॉकग क्यों नहीं पाती है ?
हिचकिचाहट आती है आड़े
महिलाओं चाहे पक्का यकीन हो की वे जो कह रहीं है ,वह शत -प्रतिशत सही है ,फिर भी अपनी बात कहने के बाद अकसर बात अधूरी छोड़ देती हैं ,ताकि कुछ गलत होने पर उन्हें दोष न दिया जाए या कोई उनकी राय की आलोचना न करे। पर ,पुरुष के अंदर इस तरह की कोई हिचकिचाहट नहीं होती है। उन्हें जो भी होती है। उन्हें जो भी कहना होता है ,वे अष्पष्ट शब्दों में कह देतें है , इसलिए हर जगह उनकी बात सुनी जाती है। वे जो राय देतें हैं या विचार रखतें है ,उसे केकर इतने विश्वाश से भरे होते हैं की उन्हें यह नहीं लगता की वे कुछ गलत राय दे रहे हैं | फिर चाहे वे किसी क्षेत्र के विद्वान के सामने ही अपने विचार क्यों न रख रहे हों। यही वजह है की अक्सर पुरुष को किसी महिला को ज़रुरत से ज्यादा समझाते हुए देखा जा सकता है। इस तरह वे अपनी बुद्धिमता का प्रदर्शन करते हैं और महिलाये बेहतर जानकारी रखने के बावजूद हिचकिचाहट की वजह से स्वयं को कमतर साबित करती हैं। महिलाओं के इस स्वभाव के लिए बहुत -कुछ हमारा पुरुष सत्तात्मक समाज ज़िम्मेदार है,जहां सर्दियों से घर -परिवारों में महिलाओं की आवाज सुनी ही नहीं जाती है। गलत साबित होने का यह डर ही महिलाओं को पुरे आत्मविश्वाश के साथ अपनी बात दूसरों के सामने रखने से रोकता है।
कार्यक्षेत्र में अगर देखें तो महिलाओं खुलकर अपनी बात रखने से बचती हैं | बहुत सशक्त ढंग से कुछ भी बात करने से इसी समस्या पर ध्यान दिलाने से वे घबराती हैं। हर बात पर हामी भर देती है और उसके बाद स्वयं को ही इतना कुश्ती हैं कि तनावग्रस्त हो जाती हैं | एक झुंझलाहट उन्हें घेरे रहती हैं कि मैं क्यों अपनी बात नहीं कह पाई जो ठीक नहीं था उसका विरोध क्यों नहीं कर पाई कुछ गलत ना हो जाए इस एहसास से बचने के लिए वे गलती ही करती जाती है | वें
बातें जो अक्सर महिलाएं कार्यक्षेत्र में कहती हैं और क्यों उन्हें कहना नहीं चाहिए , यह जानना जरूरी है, अपनी बात को दमदार तरीके से रखने के लिए अपनी बातचीत में किन वाक्यों का इस्तेमाल आज से बंद करें , आइए जाने :
मैं गलत हो सकती हूँ
अपनी बात यह कहते हुए कभी ख़त्म या अधूरी ना छोरे कि मैं गलत हो सकती हूं | अपने विचारों व राय का सम्मान करें और उन पर कायम रहें | अगर आपको विश्वास है कि आप सही बात कह रहे हैं तो उसे इस तरह से नहीं कहे कि कोई आपकी विश्वसनीयता पर संदेह करें | बहुत मेहनत कर आप जिस मुकाम पर पहुंची हैं उसे बेकरार ना होने दें अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि मेरा मानना यह है | आप जो कहती हैं , उस पर प्रश्न चिन्ह न लगने दें
मुझे खेद है
जिसका जो काम है अगर आप उसे वह करने को कहती हैं तो यह न सोचे कि आप उसे परेशान कर रही हैं जो काम आपको करवाना है , उसके लिए विनती करना या उनसे पूछना कि क्या या काम कर दोगे और जब वह करने लगे तो यह कहना कि तुम्हें परेशान कर रही हूं उसके लिए सॉरी ,यह वाक्य न दोहराएं | आप इसके बजाय कह सकती हैं , यह एक बहुत जरूरी काम है और मैं जानती हूं इसे करना में तुम मेरी मदद करोगे वह काम इसके लिए उन्हें वेतन मिल रहा है, करने के लिए कोई तब तक माना नहीं मना नहीं करता जब तक कि उस व्यक्ति का स्वभाव ही खराब ना हो | अगर सामने वाला भी आपके दिए गए काम को करने से कतराते है या उसे टालता है तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं | ऐसे लोगों से निबटने की जिम्मेदारी मैनेजमेंट की है |
मैं कोई एक्सपर्ट नहीं हूँ
आपको कोई जिम्मेदारी आप की कार्य क्षमता को देखते हुए दी गई है | यह कहना बंद करें, मैं कोई एक्सपर्ट तो नहीं हूं | अगर आप अपना काम अच्छी तरह से जानती हैं तो अपनी बातचीत के जरिए अपनी कार्यक्षमता को लेकर अविश्वसनीयता को पैदा करने से बचें | एक्सपर्ट न सही ज्ञान तो तो आपके पास है ही और उसके साथ आपका आत्मविश्वास आप को सफल बनने में मदद करेगा |
अपने सवाल और सुझाव हमें comment box में जरूर बताएं।
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