खाने को जायकेदार बनाने में लौंग अहम भूमिका निभाता है। लौंग की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका इस्तेमाल अधिकतर सर्दी-खांसी की समस्या दूर करने के लिए किया जाता है। लेकिन इसके अलावा भी इसके कई अनगिनत फायदे हैं, जिन्हें जानकर आप हैरान हो जाएंगे। लौंग में 36 प्रकार की सामग्री होती है, जिसमें सबसे अहम होता है यूगेनॉल। इसके अलावा पोटेशियम, लोहा, फास्फोरस, आयोडीन, विटामिन के और सी होते हैं।
आयुर्वेद में लौंग के इस्तेमाल को लेकर कई जगह जिक्र किया गया है। साइनस और दांत से संबंधित बीमारियों को दूर करने में लौंग का इस्तेमाल विशेष रूप से किया जाता है। लौंग में यूजिनॉल तत्व होता है, जो साइनस और दांत में दर्द निवारक का काम करता है। यही कारण है कि 99 फीसदी टूथपेस्ट में कुछ मात्रा में लौंग का भी इस्तेमाल किया जाता है।
सर्दी खांसी में अचूक औषधि है लौंग
सर्दी-खांसी जैसी समस्या के निवारण के लिए लौंग असरकारी दवा है। लौंग में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीसेप्टिक जैसे कई गुण पाए जाते हैं। यदि सर्दी-खांसी बहुत ज्यादा हो रही है तो एक दो लौंग हमेशा मुंह में रखने चाहिए, जिससे गले की खराश भी खत्म हो जाती है। इसके अलावा लौंग वाली काली चाय का भी सेवन किया जा सकता है। जिससे शरीर में गर्माहट बढ़ती है।
डायबिटीज को कंट्रोल करता है लौंग
लौंग शरीर में शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में भी मदद करता है। लौंग में विटामिन के अलावा अन्य मिनरल्स जैसे जिंक, कॉपर, मैग्नीशियम प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए एंटीऑक्सीडेंट का काम करते हैं। मधुमेह के रोगियों को गर्म पानी में 5-6 लौंग डालकर रख देना चाहिए और इन पानी को ठंडा होने पर दिनभर पीना चाहिए। इससे डायबिटीज नियंत्रित रखने में काफी मदद मिलती है।
लौंग में होता है यूजेनिया, दूर करता है सूजन
लौंग में यूजेनिया नाम का एक प्रमुख तत्व भी पाया जाता है, जो शरीर के किसी भी हिस्से में आई सूजन को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा गले व मसूड़ों में होने वाले दर्द, टांसिल्स आदि की समस्या भी इससे नियंत्रित हो जाती है। लौंग में मौजूद एंटी इंफ्लेमेट्री गुण, कैनडिडा नाम के फंगस से लड़ने में मदद करता है। इसके लिए सूजन या दर्द वाली जगह पर लौंग के तेल को लगाने या हल्की मालिश करने से काफी राहत मिलती है।
पेट में नहीं होने देता अल्सर
यदि हम नियमित रूप से लौंग का इस्तेमाल करते हैं तो पेट में अल्सर जैसी समस्या भी नहीं होती है क्योंकि लौंग में मौजूद यूजेलिया पेट में अल्सर जैसी समस्या को नियंत्रित करके रखता है। लौंग में मौजूद फाइबर भी पाचन में सहायक होता है। इससे पेट की छोटी व बड़ी आंत आसानी से साफ होती है। इसके लिए लौंग की चाय भी पी जा सकती है या दिन में दो या तीन लौंग का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
यदि हम नियमित रूप से लौंग का इस्तेमाल करते हैं तो पेट में अल्सर जैसी समस्या भी नहीं होती है क्योंकि लौंग में मौजूद यूजेलिया पेट में अल्सर जैसी समस्या को नियंत्रित करके रखता है। लौंग में मौजूद फाइबर भी पाचन में सहायक होता है। इससे पेट की छोटी व बड़ी आंत आसानी से साफ होती है। इसके लिए लौंग की चाय भी पी जा सकती है या दिन में दो या तीन लौंग का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
अस्थमा रहता है काबू में
लौंग के इस्तेमाल में अस्थमा की बीमारी भी नियंत्रित रहती है। अस्थमा एक जानलेवा बीमारी है, जो सीधे हमारी श्वसन नलिका को प्रभावित करती है। ज्यादा मेहनत काम करने या दौड़ने व चलने से मरीज की सांस फूलने लगती है। ऐसे मरीजों को लौंग हमेशा अपने पास ही रखना चाहिए, क्योंकि श्वसन तंत्र को लौंग तत्काल सक्रिय करता है और सांस लेने में हो रही दिक्कत भी दूर करता है। इसके अलावा मतली, जोड़ों में दर्द, कान दर्द, मुंहासे दूर करने में भी लौंग सहायक होता है।
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